निबंधन कार्यालय में करोड़ों के राजस्व की चोरी


- चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए दिखाई स्टाफ डयूटी में बाजीगरी ।


- 24 करोड़ से ज्यादा की भूमि पर स्टांप शुल्क मात्र चार लाख ।


- मुख्यमंत्री से आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग।

आगरा(प्रवीन शर्मा)  जिला आगरा के निबंधन विभाग में करोड़ों के स्टांप चोरी का मामला प्रकाश में  मामले में तत्कालीन सहायक महानिरीक्षक निबंधन आगरा को बचाने के लिए डीआईजी स्टांप आगरा मंडल द्वारा मंत्री  कर एवं पंजीयन को भी गुमराह किया गया। भ्रष्टाचार के इस खेल में डीआईजी स्टांप की संलिप्तता दिख रही है।

    मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश कुमार वर्मा ने कहा है कि पिछले वर्ष 30 दिसंबर 2019 को पुरानी विजय नगर कॉलोनी निवासी आगरा पब्लिक एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष महेश चंद शर्मा पुत्र पीएल शर्मा ने मौजा अरतौनी में  खसरा संख्या 18 के अंश में से 0.4000 हेक्टेयर जमीन अपने दोनों पुत्रों अभिनव शर्मा व अभिनय अनिकेत शर्मा के हक में रजिस्ट्री  की थी। जमीन की कीमत 60 लाख दिखाकर स्टाम्प शुल्क 4 लाख 20 हज़ार रुपये अदा किया गया था। आरोप है कि इस मामले में तत्कालीन सहायक महानिरीक्षक निबंधन आगरा निरंजन कुमार द्वारा पक्षकारों को अनुचित लाभ देने के मकसद से अपने मनमाफिक अधिकारी को सब रजिस्ट्रार सेकंड के पद पर तैनात करा दिया फिर उससे  दबाव डालकर अवैध तरीके से सम्पत्ति को पंजीकृत कराया गया था।


शिकायत पर सहायक महानिरीक्षक ने जांच के नाम पर की थी खानापूर्ति।


  इस मामले में जब शिकायत की गई तो तत्कालीन सहायक महानिरीक्षक निबंधन आगरा ने अपने संरक्षण में विभाग में नवनियुक्त अधिकारियों की  टीम गठित कर जांच कराई थी। जांच टीम ने 29 जनवरी 2020 को दी आख्या में भूमि के उच्चतम मूल्य 60 लाख की मालियत पर 7 फ़ीसदी की दर से 4 लाख 20 हज़ार देने को जायज ठहराया।


एडीएम वित्त की जांच में पकड़ में आया भारी राजस्व का घोटाला


इस मामले की जांच  से इत्तेफाक न रखते हुए अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व ने राजस्व निरीक्षक बिचपुरी के नेतृत्व में टीम गठित कर जांच कराई। टीम में क्षेत्रीय लेखपाल टीकम सिंह, लेखपाल सदरवन प्रमोद कुमार व लेखपाल बिचपुरी के साथ एडीएम वित्त एवं राजस्व द्वारा मौके पर विक्रय की गई संपत्ति का निरीक्षण किया। इसके बाद जांच टीम ने 25 अगस्त 2020 को सौंपी गई अपनी जांच आख्या में कहा कि बिक्रय की गई भूमि की बाजार में कीमत 24 करोड़ 91 लाख 41हज़ार रुपये है। जिस पर 7 प्रतिशत की दर से स्टांप शुल्क एक करोड़ 74 लाख 39 हज़ार 870 रुपये बनता है। जबकि पक्षकारों द्वारा मात्र 4 लाख 20 हज़ार रुपये ही अदा किए हैं। जांच आख्या में यह भी कहा गया कि तत्कालीन सहायक महा निरीक्षक निबंधन आगरा निरंजन कुमार ने शासन को भारी राजस्व की क्षति पहुंचाई है। इसके बाद एडीएम वित्त एवं राजस्व ने महानिरीक्षक निबंधन को जांच रिपोर्ट भेज दी। आरोप है कि निबंधन विभाग मुख्यालय  लखनऊ  में तैनात निरंजन कुमार ने विभागीय अधिकारियों से सांठगांठ कर जांच को रद्दी की टोकरी में फिकवा दिया।

  इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता ने भ्रष्टाचार निवारण संगठन से जांच करा कर आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।