एमिटी विश्वविद्यालय में भारत में आंतकवाद रोधी तंत्र का प्रभाव विषय पर संयुक्त वेबिनार का आयोजन





नोयडा।उ.प्र.

मुबंई में 26 नवंबर 2008 को हुए आंतकवादी हमले पर केस स्टडी पर चर्चा करने के लिए एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ डिफेंस स्ट्रैटजिक स्टडीज द्वारा ग्लोबल काउंटर टेरोरिज्म कांउसिल के सहयोग से छात्र केन्द्रीत संयुक्त वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में छात्रों की आत्मसात एवं धारण करने की शक्ती को प्रखर बनाने के लिए छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल महामहिम डा शेखर दत्त, रिसर्च एंड एनालिलिस विंग की पूर्व विशेष सचिव सुश्री प्रभा राव, पूर्व भारतीय सुरक्षा गार्ड के पूर्व महानिदेशक मेजर जनरल (डा) बिपिन बक्शी और एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट के पूर्व प्रमुख श्री करनाल सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ डिफेंस स्ट्रैटजिक स्टडीज के महानिदेशक लेफ्ट जनरल एस के गिडिआॅक और एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी इनोवेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। इस संयुक्त वेबिनार में छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल लेफ्ट जनरल के एम सेठ, एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ डिफेंस स्ट्रैटजिक स्टडीज की प्रमुख डा वी योगा ज्योतसना, छात्रों, अकदामिकों, विशेषज्ञों सहित बड़ी संख्या में प्रबु्द्धजनों ने हिस्सा लिया।


छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल महामहिम डा शेखर दत्त ने छात्रो को संबोधित करते हुए कहा कि आंतकवाद रोधी तंत्र के प्रभाव एक ऐसा विषय है जिस पर काफी परिचर्चा और शोध की आवश्यकता है। आंतकवाद को पाकिस्तानी सरकारों और पाकिस्तान सेना का समर्थन और सहयोग मिलता है और वहां की मुख्य सत्ता का संचालन सेना द्वारा होता है। उनकी सेना आंतकवाद को सेना का उपकरण समझती है। सन 1971 में भारत से पाकिस्तान के हुए हार के उपरांत उन्होने आतंकवाद का सहारा लिया और आज भी आतंकवाद उनके लिए एक युद्ध पद्धति है। महामहिम डा दत्त ने कहा कि शत्रु की चालों को नाकाम करने के लिए उसकी गतिविधियों पर लगातार नजरें रखना आवश्यक है। मुबंई में 26 नवंबर 2008 को हुए आंतकवादी हमले से पहले और उसके उपरांत पाकिस्तान एवं पाकिस्तानी सेना इस तरह की आतंकवादी गतिविधियो को बढ़ावा देती है। उन्होनें कहा कि आतंकवादी घटनाओं को रोकने के लिए इंटेलिजेंस जानकारी को साझा करना और उस पर प्रतिक्रिया करना आवश्यक है। डा दत्त ने एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ डिफेंस स्ट्रैटजिक स्टडीज के छात्रों द्वारा दी गई प्रस्तुती की सराहना की।


 रिसर्च एंड एनालिलिस विंग की पूर्व विशेष सचिव सुश्री प्रभा राव ने कट्टरता के संर्दभ में जानकारी देते हुए कहा कि कट्टरता किसी भी सम्प्रदाय, विचार पर अतिविश्वास और उसके लिए अतिउत्साह से किये गये कार्य को कहते है। आतंकवाद में धर्म का सहारा लेकर कट्टरता को बढ़ावा दिया जाता है जो बढ़कर हिंसा के चरम पर जा पहंचता है। सुश्री राव ने कहा कि कट्टरता को रोक भविष्य मे होने वाले हानियों से बचा जा सकता है। छात्रों को शोध के दौरान इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए।


इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ डिफेंस स्ट्रैटजिक स्टडीज की छात्रा सुश्री श्रुती नायर ने भारत में आतंकवाद के कारण - वाराणसी ब्लास्ट, सुश्री यशस्वी रघुवंशी ने आतंकवाद वित्त पोषण - भारतीय पार्लियामेंट अटैक पर, सुश्री हाना मथाई ने भारतीय आतंकवाद रोधी रणनिती - मुबंई टिव्नि ब्लास्ट केस पर, श्री अयान मनचंदा ने मावाधिकार मुद्दे और आंतकवाद रोधी संचालन पर और सुश्री ओझा साक्षी ने मुबंई टेरर अटैक पर प्रस्तुती दी।


पूर्व भारतीय सुरक्षा गार्ड के पूर्व महानिदेशक मेजर जनरल (डा) बिपिन बक्शी ने संबोधित करते हुए कहा कि सुरक्षा मुद्दे को अकादमिक शिक्षण का हिस्सा बनाने की दिशा में हमें एक लंबा रास्ता तय करना है। अंतराष्ट्रीय समस्या का समाधान आवश्यक है। उन्होनें कहा कि मंुबई केस ने कई शिक्षण प्रदान किये जैसे खुफिया जानकारी का संश्लेष्ण आवश्यक, कोस्टल निगरानी का विकास, बचाये गये लोगो से सूचना का एकत्र करण, और अंर्तराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। उन्होनें रोबस्ट सीटी रिसपांस के विकास जिसमें एडवांस तकनीकी को साझा करने, आंतकवादी संचार अवरोधन, ड्रोन सुरक्षा के बारे में भी जानकारी दी। आतंकवाद का सामना करने के लिए सामूहिक सहयोग की आवश्यकता है।


एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट के पूर्व प्रमुख श्री करनाल सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के नये परिपेक्ष्य जिहाद आतंकवाद को विकसित किया है जिसके दो प्रकार है एक अमेरिका मे हुए 9 /11 के हमले के पहले और अमेरिका मे हुए 9 /11 के हमले के बाद है। अमेरिका में हुए आतंकवादी हमले से पहले अमेरिका और अन्य देश भारत में हुए आतंकवादी हमले को गंभीर रूप से नही लेते थे। इस अवसर पर उन्होनें आतंकवादी वित्त पोषण, आतंकवादी हमला, एनआईए, एटीएस और विधीक संरचना के बारे में जानकारी दी।


एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ डिफेंस स्ट्रैटजिक स्टडीज के महानिदेशक लेफ्ट जनरल एस के गिडिआॅक ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि एमिटी सदैव छात्रों को इस प्रकार के संयुक्त वेबिनार के जरीए अंर्तराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय मुद्दों के प्रति जागरूक करता रहता है जिससे उनके ज्ञान में इजाफा हो सके। एमिटी के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान  का विश्वास है कि राष्ट्रीय सुरक्षा एक अहम मुद्दा है जिसके प्रति हर व्यक्ति को सजग होना चाहिए तभी देश और हम सुरक्षित होगें। यह संयुक्त वेबिनार इसी क्रम में एक कड़ी है।


इस अवसर पर प्रश्नोत्तर सत्र के अंर्तगत छात्रों ने विशेषज्ञों से कई प्रश्न भी किये। कार्यक्रम के अंत में एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ डिफेंस स्ट्रैटजिक स्टडीज के बिग्रेडियर बी बी वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।