बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति किया गया जागरूक।

 


बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति किया गया जागरूक।


आगरा।हि वार्ता

 जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में राजकीय सम्प्रेक्षण गृह, किशोर में विधिक साक्षरता/जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रशान्त कुमार ने बताया कि जुबेनाइल उस व्यक्ति को माना जाता है, जिसकी उम्र 18 साल से कम है। भारतीय दण्ड संहिता के मुताबिक बच्चे को किसी भी अपराध के लिए तब तक सजा नहीं दी जा सकती, जब तक कि उसकी उम्र कम से कम सात साल न हो। उन्होंने बताया कि 2000 के एक्ट के मुताबिक, यदि कोई बच्चा कानून तोड़ता है, चाहे वह किसी भी तरह का अपराधी हो, उसे ज्यादा से ज्यादा तीन साल बाल सुधार गृह में रखा जा सकता है, बच्चे को तीन साल से ज्यादा की सजा किसी भी हालत में नहीं दी जा सकती, न ही उस पर किसी वयस्क की तरह मुकदमा चलाकर वयस्कों की जेल में भेजा जा सकता है। उन्होंने बच्चों के विभिन्न अधिकारों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि आगामी 10 अप्रैल को जनपद न्यायालयों से लेकर तहसील न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें समस्त प्रकार के शमनीय आपराधिक मामले, चैक बाउंस से सम्बन्धित धारा 138 एनआई एक्ट के वाद, बैंक रिकवरी वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद आदि का निस्तारण किया जायेगा।

   इस शिविर का संचालत करते हुए अधिवक्ता श्री वीरेन्द्र सिंह कुशवाह, मेघ सिंह यादव, लक्ष्मी चन्द बंसल एंव वीरेन्द्र सिंह कुशवाह आदि ने बताया कि बच्चे देश का उज्ज्वल भविष्य हैं, उन्हें ढेर सारे प्यार और लगाव के साथ अच्छे से बढ़ावा और बर्ताव करना चाहिए। हमारे देश में बच्चों को बहुत कम आय पर कड़ा श्रम करने के लिए मजबूर किया जता है। उन्हें आधुनिक शिक्षा नहीं मिल पाती है, इसलिए वो पिछड़े ही रह जाते हैं। उनका आज, देश के आने वाले कल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए उनके क्रियाकलापों एवं उन्हें दिये जाने वाले ज्ञान और संस्कारों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए।