एमिटी विश्वविद्यालय में ‘‘बहते रहो - आवश्यक जीवन कौशल’’ पर वेबिनार का आयोजन





नोयडा।हि. वार्ता

छात्रों को आवश्यक जीवन कौशल के सन्दर्भ में जानकारी प्रदान करने के लिए आज एमिटी ग्लोबल बिजनेस स्कूल नोएडा द्वारा ‘‘ बहते रहो - आवश्यक जीवन कौशल’’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में उद्यमी और नेटगियर के इंटरनल कप्लायंस कमेटी की मोबाइल आर्किटेक्ट प्रिसाइडिंग आॅफिसर सुश्री निरंजना बालासुंदरम ने ‘‘ बहते रहो - आवश्यक जीवन कौशल’’ विषय पर व्याख्यान प्रदान किया। इस अवसर पर एमिटी ग्लोबल बिजनेस स्कूल नोएडा की प्रो दिव्या भाटिया ने सुश्री बालासुदंरम का स्वागत किया है।


वेबिनार में उद्यमी और नेटगियर के इंटरनल कप्लायंस कमेटी की मोबाइल आर्किटेक्ट प्रिसाइडिंग आॅफिसर सुश्री निरंजना बालासुंदरम ने ‘‘ बहते रहो - आवश्यक जीवन कौशल’’ विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि देवप्रयाग में अलकन्दा और भागीरथी का संगम होता है और इसके बाद गंगा नाम रह जाता है और गंगा नदी जहंा उपजाउ भूमि का निर्माण करती है वहां कई बार विग्र रूप धर कर सबकुछ समाप्त भी कर देती है इसी तरह हमारा जीवन भी घटनाओं और अनुभवों की श्रृखंला है। हर व्यक्ति के जीवन का कुछ उददेश्य होता है। समय सीमीत है और धन असीमीत कमाया जा सकता हैं इसलिए सदैव समय के महत्व को समझें। उन्होनें स्वस्थ एवं प्रसन्नतचित जीवन के लिए जापानी रहस्य ‘‘आईकीगई’’ के बारे में बताते हुए कहा कि आप जिसमें अच्छे है और आपको उसके लिए पैसे मिलते है तो वह आपका व्यवसाय है, आप जिसमें अच्छे है और आपको उससे प्यार है तो आपका उस कार्य के प्रति जूनून है। डा बालासुदंरम ने कहा कि हमारे जीवन में जिस तरह हमारी उम्र बढ़ती है उसी के अनुरूप जीवन का उददेश्य बदलता रहता है। जीवन का उददेश्य को पूरा करना जीवन यात्रा का ध्येय है। जीवन में मूल्यवान कौशल का विकास करें जिससे जीवन एक बेहतर स्थान बन सके। जूनन और आवश्यकता में कौशल की कमी अनपयुक्त बनाती है और जूनून और कौशल जिसकी मांग नही है अयोग्य शौक को उत्पन्न करता है और कौशल और मांग मिलकर अप्राप्य रोजगार बनाती है। जबकी जूनून, मांग और कौशल तीनों मिलकर मीठे बर्तन का निर्माण करता है।


सुश्री निरंजना बालासुंदरम ने वित्तीय फिटनेस के बारे में बताते हुए कहा कि हमें आय, व्यय और बचत तीनों को समझना होगा इसलिए अपनी समस्याओं का आनंद लें और लोगों की सहायता करें। उन्होनें बचत की कला को बताते हुए कहा कि आपको जानना होगा कि आपके पास कितना धन है और उसमें कितनी बचत हो रही है और आप कितना खर्च कर रहे है और आप इसको किस प्रकार बढ़ा सकते है। उन्होनें कहा कि मंहगाई, जोड़ना, आपके निवेश के विकल्प, आप कहां से प्रारंभ करें और अपने परिवार को सुरक्षित कैंसे रखें को आपको अवश्य जानना चाहिए। इसके अतिरिक्त उन्होनें आपातकालीन धन और लघु, मध्यम और लंबे वक्त के लक्ष्य के निर्धारण को बताया।


सुश्री बालासुंदरम ने स्वंय की देखभाल के महत्व को बताते हुए कहा कि कमजोर व्यक्ति विकारों से प्रभावित होते है और लचीले व्यक्ति पर विकारों को कोई फर्क नही पड़ता और मजबूत व्यक्ति विकारों से विकसित होते है। उन्होनें स्वंय के देखभाल के शारिरीक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक और व्यवसायिकों भागों को बताया। अच्छे मानसिक स्वास्थय के टिप्स को बताते हुए पोषक युक्त भोजन, सक्रिय रहने, परिवार के साथ घूमने, जरूरत पड़ने पर व्यवसायिक मदद मांगने, अपनी भावनाओं को बताने,  हर रोज 8 घंटे की नींद लेने कें महत्व को बताया। उन्होनें कहा कि अपनी कहानी के आप स्वंय लिखते है कोई और नही। अपने कार्यो की जिम्मेदारी लें।


इस अवसर पर छात्रों और शिक्षकों ने सुश्री निरंजना बालासुंदरम से कई प्रश्न किये जिनके उन्होनें जवाब प्रदान किये।