ॐ धन्वन्तर्ये नमः।
*अथामलक्या नामानि गुणाश्चाह*
*वयस्यामलकी वृष्या जातीफलरसं शिवम्।*
*धात्रीफलं श्रीफलं च तथामृतफलं स्मृतम्।।*
*त्रिष्वामलकमाख्यातं धात्री तिष्यफलामृता।।*
*अर्थात् वयस्या, आमलकी, वृष्या, जातीफलरस, शिव, धात्री फल, श्रीफल, अमृत फल, आमलक, धात्री, तिष्यफला, अमृता तथा आंवला आदि नाम है।*
*आंवला में अम्ल रस, मधुर रस एवं कषाय रस है। अम्ल रस युक्त होने से वात को दूर करता है तथा मधुर रस युक्त होने से एवं शीतल होने से पित्त को दूर करता है और रुक्ष तथा कषाय रस युक्त होने से कफ को दूर करता है। अतः आंवला त्रिदोष नाशक है।*
*कभी कभी देखा गया है कि लोग जब आंवले का चूर्ण अथवा आंवले का रस पीते हैं तो उन्हें कफ बढ़ जाती हैं। तो यहां पर एक शंका उत्पन्न होती है कि आयुर्वेद में यह कहा गया है कि आंवला त्रिदोष नाशक है तो फिर कफ को कैसे बढ़ाता है? तो इसका उत्तर यह है:-*
*यस्य यस्य फलस्येह वीर्यं भवति यादृशम्।*
*तस्य तस्येव वीर्येण मज्जानमपि निर्दिशेत्।।*
*अर्थात् जिन जिन फलों का गुण जैसा उष्ण या शीतवीर्य हो उन उन फलों की मींगी का भी गुण वैसा ही उष्ण अथवा शीतवीर्य होता है।*
*अतः जिन व्यक्तियों को आंवला खाने से कफ की वृद्धि होती हैं उन व्यक्तियों को साथ में बहेड़ा मिलाकर सेवन करना चाहिए।*
*आमलते धारयति शरीरम् वा रसायनगुणान् इति आमलकी।*
*अर्थात् जो शरीर के भीतर जाते ही शरीर का धारण करती हैं एवं जिसमें रसायन आदि गुण हैं, उसको "आमलकी" कहते हैं।*
*आजकल आधुनिक विज्ञान के अनुसार आंवला मेंं गैलिक एसिड, एलाइगिक एसिड और ग्लुकोज़ होता है। विटामिन सी तथा पेक्टिन बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। विटामिन सी की मात्रा १०० ग्राम में ६००- ९०० ग्राम तक पाई जाती है। आंवले के सुखे चूर्ण में एवं वे पर्याप्त गरम करने पर भी इसमें "विटामिन सी" पर्याप्त मात्रा में होती हैं क्योंकि इसके अन्दर का टैनिन "सी" को नष्ट नहीं होने देता।*
*गुण और प्रयोग*
*आंवला एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधि है। इसका बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। इसका ताजा फल रसायन, वृष्य, रक्तपित्त को दूर करने वाला, शीतल, मृदु विरेचक, मूत्रल एवं यकृत की क्रिया ठीक करने वाला है। इसका सूखा फल ग्राही, शीतल, दीपन एवं रक्तस्राव रोधक है।*
*रसायन के लिए एक विशिष्ट प्रकार की विधि सेवन करने का विधान चरक संहिता में किया गया है। ताजे सुखे आंवले को लेकर उसको ताजे आंवले के रस की भावना देकर सुखाना चाहिए। यह जितनी अधिक बार दी जाएगी उतना ही गुणकारक होगा। कम् से कम् २१ भावना देकर सुखा कर रखना चाहिए। इस चूर्ण की ३ से ६ ग्राम की मात्रा गोघृत तथा मधु असमान मात्रा में लेकर आंवले के चूर्ण के साथ मिलाकर दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। किसी किसी को गोघृत तथा मधु से एलर्जी हो जाती है। उनके लिए च्यवनप्राश उपयोग में लेना चाहिए। अर्थात ३ग्राम आंवले के चूर्ण को एक चम्मच च्यवनप्राश मिलाकर दिन में दो बार सेवन करना चाहिए।*
*इसके सेवन से शरीर की सभी क्रियाएं सुधरकर शरीर पुष्ट एवं बलवान बनता है। स्मृति, मेधा, कांति बढ़ती है। श्वास, कास, क्षय, पांडु, अग्निमांद्य, वीर्य दोष आदि दूर होते हैं। आंवला एवं हल्दी का क्वाथ (काढ़ा) बस्तिशोथ (नाभि का टलना) एवं पित्त प्रकोप जन्य व्याधि में उपयोगी है। आंवले का रस मूत्रकृच्छ (रुक रुक कर पेशाब होना), रक्तपित्त (शरीर में से कहीं से भी रक्त निकलता हो) , पित्तजशूल (अजीर्ण के कारण होने वाली दर्द), कामला (पीलिया), हिक्का (हिचकी), वमन (उल्टी), जीर्ण विवन्ध( पेट साफ ना होना) आदि रोग में मिश्री मिलाकर शर्बत की भांति पीने से बहुत लाभदायक है। प्रतिशाद (Scurvy) में भी आंवले का रस बहुत उपयोगी है।*
*आंवले का चूर्ण अम्लपित्त ( Hyper Acidity) , परिणाम शूल खाना खाने के बाद होने वाली दर्द), अर्श, अतिसार, संग्रहणी (भोजन करने के बाद दस्त होना एवं कभी पेट साफ होता है कभी पेट साफ नहीं होता), अत्यार्त्तव (स्त्रीयों को मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्त स्राव होना) , एवं प्रतिश्याय (सर्दी-जुकाम) में परम उपयोगी है।*
*आंवले का आंख के लिए सिद्ध प्रयोग*
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*पेड़ पर ही लगे हुए आंवलों को चीरने से जो रस निकलता है उससे आंख धोने से अक्षिशोथ दूर होता है तथा आंखों की ज्योति बढ़ती है। उसी प्रकार आंवले का बीजों की मींगी के काढ़ा से आंख धोने से आंखों का दर्द दूर होता है।*
*अक्षिप्रक्षालन (प्रातः काल नींद से जागने के पश्चात आंखों को धोते हैं, उस क्रिया को "अक्षिप्रक्षालन" कहा जाता है) के लिए रात-भर जल में भिगोये आंवले का चूर्ण का पानी भी अत्यंत उपयोगी है।*
*सहस्त्र-पूटी लौह भस्म के साथ आंवले का उपयोग पांडु (रक्त हीनता) तथा कामला (पीलिया) में विशेष लाभकारी होता है।*
*आंवले के पत्तों का काढ़ा से मुख धोने से मुख व्रण में लाभदायक है।*
*आंवले का कोमल पत्तों का रस तक्र (छांछ) के साथ पीने से अजीर्ण एवं अतिसार में लाभ होता है।*
*जब पेशाब ना हो अथवा पेशाब करते हुए जलन होती हो तो नाभी पर आंवले का लेप करने से लाभदायक होता है।*
*आंवले का विशेष उपयोग च्यवनप्राश, आमलकी रसायन, त्रिफला चूर्ण एवं धात्री लौह में किया जाता है।*
*आंवले को ओर विस्तार से चर्चा करते हैं।*
*आंवला का परिचय*
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*आयुर्वेद के अनुसार, आंवला एक ऐसा फल है जिसके अनगिनत लाभ हैं। आंवला ना सिर्फ त्वचा, और बालों के लिए फायदेमंद है, बल्कि कई तरह के रोगों के लिए औषधि के रूप में भी काम करता है। आंवला का प्रयोग कई तरह से किया जाता है, जैसे- आंवला जूस (amla juice), आंवला चूर्ण (amla powder), आंवला अचार आदि। आंवला में प्रचुर मात्रा में विटामिन, मिनरल, और न्यूट्रिएन्ट्स होते हैं, जो आंवला को अनमोल गुणों वाला बनाते हैं।*
*आंवला को आयुर्वेद में अमृतफल या धात्रीफल कहा गया है।*
*पेड़-पौधे से जो औषधि बनती है उसको काष्ठौषधि कहते हैं और धातु-खनिज से जो औषधि बनती है उनको रसौषधि कहते हैं। इन दोनों तरह की औषधि में आंवला का इस्तेमाल किया जाता है। यहां तक कि आंवला को रसायन द्रव्यों में सबसे अच्छा माना जाता है यानि कहने का मतलब ये है कि जब बाल बेजान और रूखे-सूखे हो जाते हैं तब आंवला का प्रयोग करने पर बालों में एक नई जान आ जाती है। आंवला का पेस्ट लगाने पर रूखे बाल काले, घने और चमकदार नजर आने लगाते हैं।*
*चरक संहिता में आयु बढ़ाने, बुखार कम करने, खांसी ठीक करने और कुष्ठ रोग का नाश करने वाली औषधि के लिए आंवला का उल्लेख मिलता है। इसी तरह सुश्रुत संहिता में आंवला को अधोभागहर संशमन औषधि बताया गया है, इसका मतलब है कि आंवला वह औषधि है, जो शरीर के दोष को मल के द्वारा बाहर निकालने में मदद करता है। पाचन संबंधित रोगों और पीलिया के लिए आंवला (Indian gooseberry) का उपयोग किया जाता है।*
*अन्य भाषाओं में आंवला के नाम*
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*आंवला का वानस्पतिक नाम (Scientific name of Amla) Phyllanthus emblica L. (पांईलैन्थस एम्बलिका) Syn-Emblicaofficinalis Gaertn है। यह Euphorbiaceae (यूफॉर्बियेसी) कुल से है। इसका अंग्रेजी नाम Emblicmyrobalan tree (एम्बलिक मायरोबालान ट्री) है। दुनिया में आंवला अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जो ये हैंः-*
*Name of Amla in Hindi- आमला, आँवला, आंवरा, आंबला औरा;*
*Name of Amla in Urdu- आँवला (Anwala);*
*Name of Amla in Odia- औंला (Onola);*
*Name of Amla in Assamese- अमला (Amla), आमलुकी (Amluki);*
*Name of Amla in Kannada- नेल्लि (Nelli), नेल्लिकाय (Nellikai);*
*Name of Amla in Gujarati- आमला (Amla), आमली (Amli);*
*Name of Amla in Tamil- नेल्लिमार (Nellimaram);*
*Name of Amla in Telugu- उसरिकाय (Usirikai);*
*Name of Amla in Bengali- आमला (Amla), आमलकी (Amlaki);*
*Name of Amla in Nepali- अमला (Amla);*
*Name of Amla in Punjabi- आमला (Amla);*
*Name of Amla in Marathi- आँवले (Anwale), आवलकाठी (Aawalkathi);*
*Name of Amla in Malayalam- नेल्लिका (Nellikka), नेल्लिमारम (Nellimaram)*
*Name of Amla in English- इण्डियन गूजबेरी (Indian gooseberry);*
*Name of Amla in Arabic- आमलज्ज (Amlajj);*
*Name of Amla in Persian- आमलह (Amlah), आम्लाझ (Amlazh)*
*आंवला के फायदे*
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*आंवला के प्रयोग से अनगिनत फायदे होते हैं। आंवला खून को साफ करता है, दस्त, मधुमेह, जलन की परेशानी में लाभ पहुंचाता है। इसके साथ ही यह जॉन्डिस, हाइपर-एसिडिटी, एनीमिया, रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहने की समस्या), वात-पित्त के साथ-साथ बवासीर या हेमोराइड में भी फायदेमंद होता है। यह मल त्याग करने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। यह सांसों की बीमारी, खांसी और कफ संबंधी रोगों से राहत दिलाने में सहायता करता है। आंवला आंखों की रोशनी को भी बेहतर करता है। अम्लीय गुण होने के कारण यह गठिया में भी लाभ पहुंचाता है। आप चाहें तो रोजाना कच्चे आंवले का सेवन कर सकते हैं या आमला जूस पी सकते हैं।*
*आंवला शरीर के पित्त, वात और कफ को संतुलित करने में मदद करता है। आंवला, पीपल और हरड़, सभी तरह के बुखार से राहत दिलाने में सहायता करता है। यह दर्द निवारक दवा के रूप में भी काम करता है।*
*बालों की समस्या में आंवले के फायदे*
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*सफेद बालों की समस्या से हर उम्र के लोग जूझ रहे हैं। आंवला के मिश्रण का लेप लगाने से कुछ ही दिनों में बाल काले हो जाते हैं। 30 ग्राम सूखे आंवला, 10 ग्राम बहेड़ा, 50 ग्राम आम की गुठली की गिरी और 10 ग्राम लौह भस्म लें। इन्हें रात भर लोहे की कढ़ाई में भिगोकर रखें। अगर कम उम्र में बाल सफेद हो रहे हैं तो इस लेप को रोज लगाएं। कुछ ही दिनों में बाल काले होने लगते हैं।*
*आंवला, रीठा और शिकाकाई को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे बालों में लगायें। सूखने के बाद पानी से बालों को धो लें। इससे बाल मुलायम, घने और लंबे होते हैं।*
*आंवले का फल, आम की गुठली के मज्जा को एक साथ पीस लें। इसे सिर पर लगाने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और बाल काले हो जाते हैं।*
*लौह भस्म और आंवला चूर्ण को गुड़हल फूल के साथ पीस लें। इसे नहाने से पहले सिर में कुछ देर लगाकर रखें, और फिर पानी से धो लें। इससे बाल सफेद नहीं होते हैं।*
*मोतियाबिंद में आंवला के फायदे*
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*आमतौर पर उम्र के बढ़ने के साथ कई लोगों को मोतियाबिंद की परेशानी होने लगती है। इससे बचने के लिए आंवला के साथ रसांजन, मधु और घी मिला लें। इस मिश्रण को आंखों में लगाने से आंखों के पीलेपन और मोतियाबिंद में फायदा मिलता है।*
*आंखों की बीमारी में आंवला के फायदे*
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*आंवले के 1-2 बूंद रस को आंखों में डालने से आंखों के दर्द से राहत मिलती है।*
*आंवले के बीज को घिसकर आंखों में लगाने से आंखों के रोग में फायदा पहुंचता है।*
*आंवले का रस, धाय के फूल, नीलाथोथा तथा खपरिया तुत्थ को नींबू के रस से मिला लें। इसकी गोली बनाकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के अनेक रोग ठीक होते हैं।*
*7 ग्राम आंवले को जौ के साथ कुटकर ठंडे पानी में भिगो लें। दो-तीन घंटे बाद आंवलों को निचोड़ कर निकाल लें। इसी पानी में फिर से दूसरे आंवला को ऐसे ही भिगो दें। दो-तीन घंटे बाद फिर निचोड़ कर निकाल लें। इस तरह तीन-चार बार करें। इस पानी को आंखों में डालने से आँखों की सूजन कम होती है।*
*आंवले के पत्ते और फल का मिश्रण आंखों में लगाएं। इससे आंख आने की परेशानी से राहत मिलती है।*
*आंवले को पीसकर पेस्ट बना लें, और उसकी पोटली बनाकर आंखों पर बांधें। इससे पित्त दोष के कारण होने वाली आंखों की खुजली, जलन आदि की परेशानी में लाभ मिलता है।*
*नाक से खून बहने की समस्या में फायदेमंद आंवला*
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*नाक से खून बहने की समस्या अनेक कारणों से हो सकती है। इसमें आंवला फायदेमंद होता है। जामुन, आम तथा आंवले को कांजी आदि के साथ बारीक पीस लें। इसे मस्तक पर लेप करने से नकसीर (नाक से खून बहने की समस्या) में लाभ होता है।*
*गले की खराश में आंवला के फायदे*
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*जब भी मौसम बदलता है तो आमतौर पर गले में खराश की परेशानी होने लगती है। अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षार तथा चित्रक को समान मात्रा में मिला लें। 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु तथा 1 चम्मच घी के साथ चाटें। इससे गले की खराश दूर होती है।*
*हिचकी से आराम दिलाये आंवला*
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*हिचकी की परेशानी को ठीक करने के लिए पीपल, आंवला तथा सोंठ के 2-2 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम खांड तथा 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे थोड़ी-थोड़ी देर में चाटने से हिचकी तथा दमा में लाभ होता है।*
*10-20 मिली आंवला रस तथा 2-3 ग्राम पीपल के पत्ते के चूर्ण में 2 चम्मच शहद मिला लें। दिन में दो बार सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।*
*उल्टी से दिलाये राहत आंवला*
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*10-20 मिली आंवला के रस में 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर सेवन करें। इससे हिचकी और उल्टी बंद हो जाती है।*
*5-10 ग्राम आंवला के चूर्ण को पानी के साथ पीने से भी उल्टी में फायदा होता है।*
*एसिडिटी में आंवला के फायदे*
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*अम्लपित्त या हाइपरएसिडिटी आजकल आम समस्या बन गई है। बच्चों से लेकर बूढ़े, किसी को भी यह समस्या हो सकती है। आंवले के 10 ग्राम बीजों को रात भर जल में भिगोकर रखें। अगले दिन गाय के दूध में बीजों को पीस लें। इसे 250 मिली गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे एसिडिटी में लाभ होता है।*
*आईबीएस (संग्रहणी) रोग से दिलाये राहत आंवला*
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*संग्रहणी रोग में बार-बार दस्त होता है। ये अक्सर खान-पान में बदलाव होने पर होता है। मेथी-दाना के साथ आंवले के पत्तों को मिलाकर काढ़ा बना लें। दिन में दो बार 10 से 20 मिली पीने से संग्रहणी रोग में लाभ होता है।*
*कब्ज में आंवला के फायदे*
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*आजकल की जीवनशैली या खान-पान की वजह से सभी लोग कब्ज से परेशान रहते हैं। 3-6 ग्राम त्रिफला चूर्ण को गुनगुने जल के साथ सेवन करें। इससे कब्ज में लाभ मिलता है।*
*पेचिश में आंवला के फायदे*
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*मल के साथ खून आने लगता है तो यह स्थिति शरीर के लिए गंभीर हो जाती है। 10-20 मिली आंवले के रस में 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिला लें। इसे पिएं, और इसके बाद 100 मिली बकरी का दूध पी लें। ऐसा दिन में तीन बार करें। पेचिश में लाभ होता है।*
*अपच में लाभकारी आंवला*
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*कई बार असमय खाने या कुछ भी गलत खा लेने पर अपच या इंडाइजेशन हो जाता है। इसके लिए आंवला को पका लें। इसमें उचित मात्रा में काली मिर्च, सोंठ, सेंधा नमक, भूना जीरा और हींग मिला लें। इसे छाया में सुखाकर सेवन करने से भूख लगती है, तथा कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।*
*दस्त में आंवला के फायदे*
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*10-12 ग्राम आंवले के कोमल पत्तों को पीसकर, छाछ के साथ रोज सुबह-शाम सेवन करें। इससे दस्त में लाभ होता है।*
*बवासीर में आंवला के लाभ*
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*अर्श यानि बवासीर कब्ज के कारण होने वाली बीमारी है। अक्सर जो लोग मसालेदार खाना खाते हैं उनको ये समस्या होती है। इसके लिए आंवला का उपयोग लाभ पहुंचाता है। बवासीर से राहत दिलाने में आंवले का जूस भी बहुत फायदेमंद है।*
*आँवलों को अच्छी तरह पीसकर एक मिट्टी के बरतन में (अन्दर की तरफ) लेप कर देना चाहिए। रोगी को इस बरतन में छाछ रखकर पीना चाहिए। इससे बवासीर में लाभ होता है।*
*बवासीर में अधिक रक्तस्राव होता हो तो 3-8 ग्राम आंवला चूर्ण को दही की मलाई के साथ सेवन करें। ऐसा दिन में दो-तीन बार करें।*
*पीलिया में लाभकारी आंवला*
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*कामला को पीलिया भी कहते हैं। पीलिया होने पर त्वचा का रंग पीला हो जाता है और शुरुआती स्थिति में इलाज नहीं होने पर यह गंभीर हो सकता है।*
*आंवले की चटनी बनाकर उसमें शहद मिला लें। इसका सेवन करने से लिवर विकार और पीलिया (amla ke fayde) में लाभ होता है।*
*-125-250 मिग्रा लौह भस्म के साथ 1-2 नग आंवले के चूर्ण का सेवन करने से पीलिया और एनीमिया में लाभ होता है।*
*प्रमेह (डायबिटीज) में आंवला के फायदे*
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*प्रमेह को डायबिटीज या मधुमेह भी कहते हैं। वर्तमान में डायबिटीज से अनेक लोग ग्रस्त हैं। इसके लिए आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागरमोथा, दारुहल्दी एवं देवदारु लें। इनको समान मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में सुबह-शाम डायबिटीज के रोगी को पिलाने से लाभ मिलता है।*
*धातु रोग में आंवला के फायदे*
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*आंवले के गुठली रहित 10 ग्राम चूर्ण को धूप में सुखा लें। इसमें दोगुनी मिश्री मिला लें। इसे ताजे जल के साथ 15 दिन तक लगातार सेवन करें। इससे स्वप्नदोष, शुक्रमेह (spermatorrhoea) आदि रोगों में निश्चित रूप से लाभ मिलता है।*
*सुजाक में आंवला के फायदे*
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*सुजाक या गोनोरिया यौन संक्रमित रोग (एसटीडी) है। इस बीमारी में लिंग के अंदर घाव हो जाता है जिससे पस निकलता है। इसके लिए 2-5 ग्राम आंवला के चूर्ण को एक गिलास जल में मिला लें। इसे पिलाएं, और इसी जल से लिंग को धोएं। इससे सूजन और जलन शान्त होती है। इससे धीरे-धीरे घाव ठीक होता है और पीव आना बन्द हो जाता है।*
*गठिया से दिलाये राहत आंवला*
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*गठिया में जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाता है। इस परेशानी से सबसे ज्यादा बड़े-बूढ़े ग्रस्त होते हैं। इसमें 20 ग्राम सूखे आंवले और 20 ग्राम गुड़ लें। इसे 500 मिली पानी में उबाल लें। 250 मिली पानी शेष रहने पर छानकर सुबह शाम पिएं। इससे गठिया में लाभ होता है। इस दौरान नमक का सेवन ना करें।*
*कुष्ठ रोग में आंवला के फायदे*
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*आंवला और नीम के पत्ते को समान मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें। इसकी 2 से 6 ग्राम या 10 ग्राम तक रोज सबुह शहद के साथ चाटें। इससे कुष्ठ की गंभीर बीमारी में भी तुरंत लाभ होता है।*
*खुजली से दिलाये राहत आंवला*
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*आंवले की गुठली को जलाकर भस्म बना लें। इसमें नारियल तेल मिला ले। इसे गीली या सूखी किसी भी प्रकार की खुजली पर लगाने से लाभ होता है।*
*त्वचा रोग में फायदेमंद आंवला*
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*नीम का पत्ता तथा आंवले को घी के साथ सेवन करें। इससे फोड़े, चोट संबंधी परेशानी, पित्त की समस्या, खुजली आदि में लाभ होता है।*
*बुखार में आंवला के फायदे*
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*मोथा, इद्रजौ, हरड, बहेड़ा, आंवला, कुटकी तथा फालसा का काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में पिएं। इससे कफ दोष के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।*
*दांतों के लिए आंवला का उपयोग*
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*आंवला की पत्तियां और फल दोनों ही मुँह से संबंधित रोगों में फ़ायदेमंद होते है। आंवला की पत्तियों का प्रयोग दांतो की मजबूती के लिए किया जाता है साथ हि फल का प्रयोग मसूड़ो यानि गम्स से संवंधी रोगों में फायदेमंद होता है।*
*हृदय को स्वस्थ रखने में आंवले के फायदे*
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*आंवला का सेवन हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक होता है, क्योंकि आंवले का सेवन कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करता है साथ ही आंवले में पाये जाने वाला विटामिन-सी रक्तवाहिनी को संकुचित होने से रोकता जिसे रक्त का दबाब भी सामान्य रहता है।*
*नसों की कमज़ोरी दूर करने में आंवले का उपयोग*
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*आंवले का उपयोग नसों की कमज़ोरी दूर करने में सहायक होता है, क्योंकि आँवले में रसायन का गुण पाया जाता है। रसायन का गुण नसों में समय साथ हो रहे परिवर्तनों यानि डिजेनरेटिशन को नियंत्रित कर कमजोरी दूर करता है।*
धन्यवाद।
✍सत्यवान नायक