एमिटी विश्वविद्यालय में डाउन सिंड्रोम पर विशेषज्ञों ने साझा किये विचार।

 




दो दिवसीय आॅनलाइन अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन।


नोयडा।हि वार्ता

एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ रिहेबिलिटेशन सांइसेस द्वारा डाउन सिंड्रोम पर आधारित दो दिवसीय आॅनलाइन अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन में द्वितीय दिन विभिन्न विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, नीति निर्धारकों ने अपने विचार साझा कियें। इस अवसर पर आस्ट्रेलिया के क्वीनसलैंड विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डा (श्रीमती) रोनडा फाराघेर, देहरादून के नेशनल इंस्टीटयूट फाॅर द एमपावरवमेंट आॅफ पर्सन विथ विजुअल डिस्एबिलिटिस के निदेशक डा हिमांग्शु दास और आस्ट्रेलिया के दक्षिण क्वीनसलैंड विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ एजुकेशन की एसोसिएट प्रोफेसर डा  लोरियेन गांउट ने अपने विचार व्यक्त किये । एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ रिहेबिलिटेशन सांइसेस की निदेशिका डा जयंती पुजारी द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। इस अवसर पर ‘‘ शिक्षा और प्रशिक्षण में डाउन सिंड्रोम वाले शामिल व्यक्ति’’ पर परिचर्चा सत्र का आयोजन भी किया गया।


प्रथम सत्र में आस्ट्रेलिया के क्वीनसलैंड विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डा (श्रीमती) रोनडा फाराघेर ने ‘‘ डाउन सिंड्रोम इंटरनेशनल - शिक्षण दिशानिर्देश’’ पर व्याख्यान देते हुए कहा कि शिक्षण को बेहतर बनाने के लिए डाउन सिंड्रोंम के व्यक्तियों के विकसित किये गये शिक्षण दिशानिर्देष को लागू करना आवश्यक है। डाउन सिंड्रोम इंटरनेशन एक वैश्विक नेटर्वक है जिसमें लगभग 136 देशो के संस्थान एवं व्यक्ति जुड़े है। डा फराघेर ने कहा कि डाउन सिंड्रोंम के ग्रस्त व्यक्तियों के लिए उच्च गुणवत्ता पूर्ण जीवन के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने शिक्षण दिशानिर्देश और यूनाईटेड नेशन कंन्वेशन आॅन द राइटस आॅफ पर्सन विथ डिस्एबिलिटी के आर्टिकल 24 के बारे मेे विस्तार से जानकारी प्र्रदान की। हम सदस्यों देशों को यूएनसीआरपीडी के अंर्तगत उनके दायित्वों को पूर्ण करने में सहायता करते है। डाउन सिंड्रोम इंटरनेशनल, नीति, अभ्यास और शोध के विकास में सहायक होता है।


द्वितीय सत्र में देहरादून के नेशनल इंस्टीटयूट फाॅर द एमपावरवमेंट आॅफ पर्सन विथ विजुअल डिस्एबिलिटिस के निदेशक डा हिमांग्शु दास ने कहा कि हमे सदैव छात्रों को प्रोत्साहन देते हुए आशावान रहना है। डाउन सिंड्रोम के छात्रों को विभिन्न स्तर पर सहयोग प्राप्त हो रहा है। सरकार द्वारा रोजगारों में आरक्षण प्रदान करने के साथ उद्यमिता के विकास हेतु योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। वर्तमान समय में डाउन सिंड्रोम के छात्रों के लिए शिक्षण कौशल विकास और विषय आधारित विशेष पाठयक्रम को बढ़ावा देना होगा। विशेष शिक्षकों के साथ शिक्षकों और अभिभावकांे के प्रशिक्षण की भी आवश्यकता है। बहुअनुशासी दृष्टिाकोण सहित विद्यालय को सकारात्मक कार्यक्रमो ंका संचालन करना चाहिए। डा दास ने कहा कि विकास कार्यक्रमों के प्रति समवेदना, डाउन सिंड्रोंम व्यक्ति सकरात्मक विकास को बढ़ावा देगा। उन्होनें डाउन सिंड्रोम के छात्रों का समावेश हर क्षेत्र में हर स्तर पर आवश्यक है।


तृतीय सत्र में आस्ट्रेलिया के क्वीनसलैंड विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डा (श्रीमती) रोनडा फाराघेर और आस्ट्रेलिया के दक्षिण क्वीनसलैंड विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ एजुकेशन की एसोसिएट प्रोफेसर डा डा लोरियेन गांउट ने ‘‘ टीचिंग मैथमेटिक्स फाॅर इंडिविजुअल विथ डाउन सिंड्रोम इन स्कूल एडं बियांड’’ पर व्याख्यान प्रदान किया।


डाउन सिंड्रोम पर आधारित दो दिवसीय आॅनलाइन अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन में द्वितीय दिन ‘‘ शिक्षा और प्रशिक्षण में डाउन सिंड्रोम वाले शामिल व्यक्ति’’ विषय पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया जिसमें सिकंदराबाद के एनआईईपीआईडी के डायरेक्टर इन चार्ज, मेजर बी वी राम कुमार, शंकर फांउडेशन हैदराबाद की संस्थापिका सचिव श्रीमती श्रीदेवी प्रसाद, चेन्नई के एनआईपीएमडी के निदेशक श्री नचिकेता राउत, डाउन सिंड्रोम पीड़ित व्यक्ति के अभिभावक एवं प्रचारक श्री अनिल जोशी ने अपने विचार व्यक्त किये। इस परिचर्चा सत्र का संचालन एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ रिहेबिलिटेशन सांइसेस की निदेशिका डा जयंती पुजारी द्वारा किया गया।

सिकंदराबाद के एनआईईपीआईडी के डायरेक्टर इन चार्ज, मेजर बी वी राम कुमार ने कहा कि हम जीवन च्रक आधारित दृष्टिकोण अपनाते है जिसमें बौद्धिक दिव्यांगजन के सशक्तीकरण हेतु कार्य करते है। पुनर्वास के अंर्तगत शारीरिक पुनर्वास, शिक्षण पुनर्वास और आर्थिक पुनर्वास करते है। शंकर फांउडेशन हैदराबाद की संस्थापिका सचिव श्रीमती श्रीदेवी प्रसाद ने संबोधित करते हुए कहा कि समावेश छोटे स्तर पर हो रहा है लेकिन धीरे धीरे हो रहा है। सरकार के प्रयासों के उपरांत भी डाउन सिंड्रोम के छात्रों का समावेश केे क्षेत्र में काफी कार्य करना है। डाउन सिंड्रोम के छात्रों हेतु शिक्षण के अलावा कई अवसर और उपलब्ध है जिनके बारे में अभिभावकों को जागरूक करना आवश्यक है।

चेन्नई के एनआईपीएमडी के निदेशक श्री नचिकेता राउत ने कहा कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ीत छात्रों का आदर और उनके व्यक्तित्व का संरक्षण आवश्यक है। लेखन पठन और अन्य कौशल को विकसित करके हमे समाज विकास में डाउन सिंड्रोम या दिव्यांगता से पीड़ीत व्यक्ती को सहायक बना सकते है। डाउन सिंड्रोम पीड़ित व्यक्ति के अभिभावक एवं प्रचारक श्री अनिल जोशी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डाउन सिंड्रोम छात्रों का अन्य छात्रों के साथ समावेशी विकास ही प्रथम उपलब्धी है। 27 वर्ष पहले सूचनायें या जानकारीयां उपलब्ध नही है जितनी आज है। हर छात्र दूसरे छात्र से अलग होता है उसके सकरात्मक और नकारात्मक पहलू होते है और उसकी आवश्यकतायें अलग होती है।इस परिचर्चा सत्र में एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ रिहेबिलिटेशन सांइसेस के शिक्षक एवं छात्रगण उपस्थित थे।


एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ रिहेबिलिटेशन सांइसेस द्वारा डाउन सिंड्रोम पर आधारित दो दिवसीय आॅनलाइन अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आज समापन हो गया। समापन समारोह में आस्ट्रेलिया के दक्षिण क्वीनसलैंड विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ एजुकेशन की एसोसिएट प्रोफेसर डा डा लोरियेन गांउट, एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ रिहेबिलिटेशन सांइसेस की निदेशिका डा जयंती पुजारी और एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ रिहेबिलिटेशन सांइसेस की संयुक्त निदेशिका श्रीमती पल्लवी चौहान ने प्रतिभागीयों को प्रोत्साहित किया।