"दीनदयाल सरोवर" योजना के सम्बन्ध में नेशनल चैम्बर ने प्रधान मंत्री को लिखा पत्र।

 


प्रतिलिपियाँ भेजी जलशक्ति मंत्री, मुख्य मंत्री, मुख्य सचिव उप्र एवं  मंडलायुक्त आगरा ।

स्थानीय जलस्रोत्रों को अनदेखा कर कूट रचित कृत्यों से जल संरचना के संरक्षण हेतु प्रयासों को अवरुद्ध करने की कोशिशें।

 आगरा एवं समीपस्थ जनपदों में पर्यावरण एवं गिरते भू-गर्भ जल स्तर पर चैम्बर ने जताई चिंता।

 प्रधानमंत्री एवं उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री चाहते हैं कि जल सरंक्षण हो।

भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी किये हुए हैं स्पष्ट दिशा निर्देश।

सिचांई विभाग की अपने दायित्व के प्रति लापरवाही।

जोधपुर झाल फैली है 152 एकड़ भूमि में (वेटलैंड)।

हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा

चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने  बताया की आगरा एवं आसपास के जनपदों में पर्यावरण एवं जल समस्या को लेकर चैम्बर बहुत ही चिंतित है।  इस चिंता को लेकर चैम्बर द्वारा आज दीनदयाल सरोवर योजना को पूर्ण कराने के लिए प्रधानमंत्री महोदय को  पत्र लिखा है जिसकी प्रतिलिपियाँ भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय, मुख्य मंत्री, उत्तर प्रदेश, मुख्य सचिव- उत्तर प्रदेश एवं मंडलायुक्त, आगरा को प्रेषित की गयी है।   

दीनदयाल सरोवर योजना के तहत जोधपुर झाल 152 एकड़ भूमि (वेटलैंड) फैली हुयी है।  16 करोड़ घन मीटर की यह जलाशय  योजना बहु उपयोगी होने के बावजूद क्रियान्वित नहीं की जा रही है।  जिसे लेकर यह चेंबर बहुत ही गंभीर है। वेटलैंड प्रधानमंत्री महोदय को लिखे पत्र व्यक्त किया गया है कि टीटीजेड के पर्यावरण को संतुलित करने के लिए जल स्रोतों का महत्व अब विचार विनिमय का मुद्दा नहीं  रह गया है।  पर्यावरण और भूजल के गिरते स्तर को ठीक रखने के लिए आगरा मंडल के आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद जनपदों के जल स्रोतों और जलाशयों का संरक्षण एक सामयिक जरूरत है। जोधपुर झाल को दीनदयाल सरोवर के रूप में संरक्षित करने की योजना को लेकर नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स यूपी आगरा काफी समय से प्रयासरत है जिससे कि इस अति महत्वपूर्ण वेटलैंड का सदुपयोग हो सके।  

 भारत सरकार के माननीय प्रधानमंत्री महोदय, श्रीमान नरेंद्र मोदी जी एवं उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री महोदय, श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी का स्पष्ट मानना है कि जल संरक्षण किया जाए और इस काम के लिए जल संचय संरचनाओं का अनुरक्षण हो।  जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इस संबंध में स्पष्ट नीति निर्देश जारी किए हुए हैं।  इसके उपरांत भी सिंचाई विभाग की अपने दायित्व के प्रति लापरवाही साबित हो रही है।  उपरोक्त को हम भारत सरकार के संज्ञान में लाने के लिए विवश है। 

 सबसे ज्यादा कष्टकारी यह है कि कुछ कूट रचित प्रयासों को क्रियान्वित कराने के लिए चल रही कार्रवाईयों को सिंचाई विभाग एवं प्रशासन अनदेखा किया हुआ है।  इन कोशिशों के तहत दीनदयाल सरोवर योजना को जल संचय संरक्षण के स्थान पर पक्षी अभ्यारण का रूप दिलवाने की कोशिश चल रही है। अगर ऐसा होता है तो पक्षी अभ्यारण बने या ना बने किंतु फरह विकासखंड के नगला चंद्रभान के आसपास के गांवों में विकास पूरी तरह रुक जाएगा। न तो जल संचय हो सकेगा और नहीं पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपनों के अनुरूप उनके गृह के विकासखंड की जल समस्या का निस्तारण हो सकेगा। 

 प्रसाशन, पर्यावरण विभाग, वन विभाग से हम जानना चाहते हैं कि सूर सरोवर,  राष्ट्रिय चंबल पक्षी अभ्यारण क्षेत्र में 750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का विकास अवरुद्ध करने के बाद अब क्यों अन्य सैकड़ों गांवों में चल रहे विकास प्रक्रिया को अवरुद्ध करना चाहते हैं।