हिन्दुस्तान वार्ता।
गांधी जी और प्रेरणा श्रोत गांधी जी के तीन बन्दर ,किसी परिचय के मुहताज नहीं।विश्व विख्यात गांधी के तीन बन्दर,अच्छे नागरिक से अच्छे इंसान बनने के, मार्ग निदेशक है।वास्तव मे बंदरों की यह तीन मूर्तियां,जो कीमत में तो बच्चों के खिलौने से ज्यादा नहीं, परन्तु सफल जीवन जीने की कला के प्रेरणाश्रोत हैं।
ये मूर्तियां गांधी जी को चीन के एक प्रतिनिधि मंडल ने भेंट स्वरूप दी गई थी।
चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस से सम्बन्धित ये तीनो बन्दर,जापान मे बुद्धिमानो के रुप मे मान्यताप्राप्त हैं।
इन तीनो बन्दरों के नाम, क्रमश:
- कीकाजारु:अपने कानो पर हांथ रखे हुए है,और संदेश देता है,बुरा मत सुनो।
- मिजारु:अपने आंखों पर हांथ रखे हुए है और संदेश देता है,बुरा मत देखो।
- ईवाजारु:अपने मुंह पर हांथ रखे हुए है और संदेश देता है,बुरा मत बोलो।
गांधीजी महान दार्शनिक थे,विश्व मान्यताप्राप्त सत्य अहिंसा के महान पुजारी थे।उनके असंख्य अनुयाई भारत मे ही नहीं अपितु विश्व भर मे हैं।
गांधी जी के जमाने मे न इतनी कमर तोड़ मंहगाई थी,जैसी आज है,और न घरो मे जगह की किल्लत थी।
आज इक्कीसवीं सदी मे आसान नही,अपने साथ-साथ तीन बन्दरों को रखना,परन्तु "जहां चाह वहां राह" के तर्ज पर हमने(आर के सिन्हा )ने एक समाधान ढूंढ निकाला!
अब मात्र एक बन्दर ,जिसका सहज नाम "जुझारू" रखा जाय। जो सर पर हांथ रख यह बताता है, कि "बुरा मत सोंचो"।
यदि हम बुरी सोंच पर नियंत्रण पा लें, और बुरा सोंचे नही तो,ज्ञान इन्द्रियों द्वारा प्राप्त समस्त सूचनाओं का उचित विश्लेषण पश्चात,स्वतः सकारात्मक बदलाव आएगा और हम स्वंय सुधार की ओर स्वतः बढ जाएंगे।प्रकृति के समस्त जीवों मे मानव मात्र ही कल्पनाशील व्यक्तित्व का मालिक है,और आज का मानव-विकास अच्छे "सोच" का ही नतीजा है।
आइए आज से हम इस चौथे बन्दर को सम्मान सहित अपने दिलो-दिमाग मे धारण करेंरा मत सोचो"।
अपने विचारों से अवगत कराएं। स्वागत के साथ प्रार्थनीय।
इं.रबीन्द्र कुमार सिन्हा(रंजन)
पू.महाप्रबंधक -कोल इंडिया।
8477877770/9557403957