राष्ट्रीय कवि संगम ब्रज प्रांत ने आयोजित किया प्रांतीय अधिवेशन।



हिंदी कविता के संवर्धन और युवाओं को जोड़ने के लिए हुआ ब्रज प्रांत के कवियों का संगम।

 ब्रज प्रांत के 12 जिलों के कवियों ने एकजुट हो किया काव्य निर्माण से समाज निर्माण पर मंथन।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। कवि हृदय समाज में संवेदना और भाव का उदय करता है। रैप और पाश्चत्य संस्कृति में खाेती जा रही युवा पीढ़ी को यदि भारतीय संस्कृति से जोड़ना है तो हिंदी कविता सृजन की ओर मोड़ दीजिए। उनमें स्वतः जीवन का सलीका और संस्कृति से जीने का तरीका भी आ जाएगा। यह चिंतन और मंथन हुआ राष्ट्रीय कवि संगम में। 

रविवार को बिचपुरी स्थित जीडी गोयनका स्कूल में राष्ट्रीय कवि संगम ब्रज प्रांत द्वारा प्रांतीय अधिवेशन आयोजित किया गया। शैलजा द्वारा मां शारदे की वंदना प्रस्तुत की गयी। प्रांतीय संरक्षक पूरन डावर, सुरेश चंद्र गर्ग और संजय गोयल, राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल, महामंत्री अशाेक बत्रा, सुदीप भाेला, रीना सिंह, ब्रज उत्तराखंड और मेरठ प्रांत प्रभारी डॉ. रुचि चतुर्वेदी, प्रांतीय अध्यक्ष गया प्रसाद मौर्या ने दीप प्रज्जवलन किया। 

कार्यक्रम तीन सत्रों अधिवेशन,काव्य पाठ और कवि सम्मेलन में आयोजित हुआ। वरिष्ठ समाज सेवी पूरन डावर ने कहा कि समाज को दिशा देने और प्रेरित करने का कार्य कवि करते हैं। 

राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने संस्था का परिचय देते हुए कहा कि 17 वर्ष पूर्व संस्था का गठन किया था। आज संस्था 30 प्रांत और विश्व के 22 देशाें में अपना अस्तित्व बना चुकी है। संस्था का उद्देश्य युवा प्रतिभाओं को तलाशकर और तराशकर मंच प्रदान करना है। डॉ.रुचि चतुर्वेदी ने कहा कि कवियों और काव्य प्रेमियों की ये संस्था कविताओं को जन−जन तक पहुंचाने के लिए कार्य कर रही है। रैप और आधुनिक संगीत में खाेते जा रहे समाज को हिंदी कविताओं की ओर मोड़ने का कार्य कर रही है। आज की पीढ़ी ये तो गुनगुनाती है बुंदेलो हरबोलों के मुंह,हमने सुनी कहानी थी…।

किंतु ये नहीं पता कि उस रचना के रचनाकार कौन थे। हिंदी के संवर्धन के लिए विश्वकर्मा जयंती पर हिंदी कविता का निर्माण करने वालों का कार्यक्रम के माध्यम से संगम किया गया। 

अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रीना सिंह ने बताया कि वे लगातार विलुप्त होते जा रहे लोकगीतों से युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए कार्य कर रही हैं। संस्था के सलाहकार एवं स्कूल प्रधानाचार्य पुनीत वशिष्ठ ने बताया कि स्कूल में बच्चों की प्रतिभा निखार के लिए नन्हीं कलम पुस्तक प्रकाशित की जाती है। 

कार्यक्रम की व्यवस्थाएं कोषाध्यक्ष राकेश निर्मल, महामंत्री पदम गौतम ने संभालीं। विभिन्न सत्रों का संचालन पदम गौतम, राकेश निर्मल और मोहित सक्सेना ने किया।   

इनकी रचनाओं ने मंत्रमुग्ध किया। सभागार में  विचार गोष्ठी के साथ ही कवि सम्मेलन भी हुआ। जिसमें रात के रतजगे, सुर के सतरंगी स्वर…केशव सक्सेना, एक बात मां ने मुझको कोख में अपनी समझायी….विमल सोलंकी, प्रकृति का अनुवाद कलम में भरते हैं….पदम गौतम, भाव से भाव का जब वरण…मनोज मधुवन, कितनी मीठी पुकार है बेटी…गीता दीक्षित, कान खाेल के सुनो युवाओं आप जिंदगी की आज ले लो मौज बाद में मौज लेगी जिंदगी…योगी सूर्यनाथ, राजीव उपाध्याय,रामबाबू पिप्पल, अर्जुन सिसौदिया, डॉ अनुज त्यागी, रूबी शाक्य आदि ने काव्य पाठ किया। अपनी हास्य कविताओं से अन्तर्राष्ट्रीय हास्य कवि सुदीप भाेला ने जमकर गुदगुदाया।