प्रधान महालेखाकार(लेखा परीक्षा,प्रथम) प्रयागराज ने किया,डॉ.भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के वित्तीय घोटालों का खुलासा।



निजाम बदलने के बाद हैदराबाद भले ही बदल गया होगा,लेकिन डा.भीमराव अम्बेडकर वि.वि.आगरा नहीं बदला।

प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा-प्रथम) प्रयागराज ने किया डॉ.भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के वित्तीय घोटालों का खुलासा।

नई शिक्षा नीति भी नहीं ला सकी जरूरी तौर तरीकों में परिवर्तन।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा: वक्त बदला निजाम बदला लेकिन हैदराबादी नहीं बदले,

किसी समय की प्रचलित यह कहावत अब शायद दक्षिणी राज्यों में भी प्रासंगिक नहीं रह गयी है किंतु आगरा के मुख्य शिक्षण परिसर डा.भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के हालात दशको से यथावत चल रहे हैं।

बने हुए मौजूदा हालातों से न तो स्टूडैंट ही खुश है और नहीं विवि के शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारी ही। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि भ्रष्टाचार अब केवल चर्चाओं और खोज खबर तक ही सीमित नहीं है,वाकायदा सत्यापित है और विधायिका के सदनों में प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा,प्रथम) प्रयागराज की रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया जा चुका है।

विवि के भ्रष्टाचार को विधायिका के समक्ष लाये जाने के बावजूद उ प्र का उच्च शिक्षा विभाग अब तक कुछ नहीं कर सका है। 

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दरकार है कि महालेखाकार की रिपोर्ट अत्यंत महत्वपूर्ण साक्ष्य है,जिसके आधार पर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए और अगर कोई सफाई संभव हो को रखने का अवसर दिया जाना चाहिये।

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का मानना है कि नई शिक्षा नीति व्यापक सुधार संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त करने वाली है किंतु वि वि की नौकरशाही पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। राज्यपाल महोदया वि वि की चांसलर हैं उनसे आग्रह है कि छात्रों के हित में दो दिन आगरा आकर प्रवास करें और वि वि के भ्रष्ट तंत्र से पीड़ितों की वेदना को सुनें।

 विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार से जानकारियों को विधान मंडल के सदनों में प्रस्तुत महालेखाकार की रिपोर्ट से संबंधित तथ्य पत्र।

सिविल सोसायटी ऑफ  आगरा के जन सूचना अधिनियम के अन्तर्गत किये आवेदन पर प्रधान महालेखाकार प्रयागराज ने डॉ.भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय की वित्तीय वर्ष 2014 - 15 से 2020 - 21 तक के लेखा अभिलेखों की लेखा परीक्षा रिपोर्ट की प्रति सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  को दी है। इस लेखा परीक्षा रिपोर्ट में विश्वविद्यालय द्वारा बरती गयी वित्तीय  आनियमित्ताओं का उल्लेख किया है और

उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आनियमित्ताओं को लाया है। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग उ.प्र.को 22-10-2021 में लिखे पत्र द्वारा अवगत कराया गया है,परन्तु आज तक विश्वविद्यालय प्रशासन के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई है। यह चिंता और क्षोभ का विषय है।

 सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने समय - समय पर विश्वविद्यालय द्वारा बरती जा रही आनियमित्ताओं के बारे में माननीय कुलाधिपति तथा उ.प्र. शासन को अवगत कराया था। वित्तिय जाँच में ये सब आरोप सही पाये गये हैं। विश्वविद्यालय ने कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा से खिलवाड़ करते हुए जी.पी.एफ. के खाते इंडियन बैंक (पूर्ववर्ती इलाहाबाद बैंक) में सेविंग्स बैंक खाते की तरह खोल दिये थे। जिस पर कर्मचारियों को मात्र 4.4% का ब्याज मिला । जबकि ब्याज 7% से अधिक मिलना चाहिए था। लेखा परीक्षा में इसी ओर इशारा किया गया है और ये माना है कि विश्वविद्यालय की गलती से खाताधारकों को ब्याज का नुकसान उठाना पड़ रहा है। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  माँग करती है कि जो भी ब्याज का नुकसान है उसकी विश्वविद्यालय तुरन्त भरपाई करे।

संस्कृति भवन के निर्माण पर सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने सन 2019 से सवाल उठाये थे। लेखा परीक्षा ने भी संस्कृति भवन के निर्माण को गलत बताया है। रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि संस्कृति भवन का निर्माण बिना स्वामित्व के कागजों व बिना नक्शा पास कराये किया गया है और उसमें रुपये 3.3 करोड़ का अतिरिक्त व्यय भी करा है। इसके अलावा खन्दारी कैम्पस में बने शिवाजी भवन को भी अलाभकारी निर्माण माना है। चाणक्य भवन में निर्मित गेस्ट हाउस पर भी सवाल उठाया है। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  की माँग है कि दोषी अधिकारियों और सम्बधित अध्यापकों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही हो।

डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय द्वारा अलीगढ़ जिले में नये राज्य विश्वविद्यालय राजा महेन्द्र महेन्द्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय को बिना बजट प्रावधान के और वित्त समिति के विरोध के बावजूद 60 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया । विशेष सचिव, उच्च शिक्षा अनुभाग-1, उ.प्र. शासन के पत्र संख्या- 680-70-1-2020-16(74)/2018 टी.सी. 26-05-2020 में रुपये हस्तांतरित करने के आदेश को गलत माना है अपनी लेखापरीक्षा रिपोर्ट में। हमारी यह भी माँग है उ.प्र. शासन यह राशि वापस करें, जिससे जी.पी.एफ. के ब्याज पर हुई हानि की भरपाई हो सके।

 विश्वविद्यालय द्वारा 08 से 09 दिसम्बर 2018 को वृंदावन में आयोजित नारी शक्ति कुम्भ पर हुए 1. 38 करोड़ के व्यय को लेखा परीक्षा में औचित्यहीन आयोजन पर कपटपूर्ण व्यय माना है।

इसके अतिरिक्त औचित्यहीन और कपटपूर्ण व्यय और भी हैं। जिससे निश्चित ही विश्वविद्यालय के अधिकारियों और इनसे जुड़े अध्यापकों को व्यक्तिगत लाभ हुआ है। विश्वविद्यालय की हानि हुई है। अत: इन सबके विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है।

कार्यवाहक कुलपति डॉ विनय पाठक द्वारा दिया गया असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की नियुक्ति का विज्ञापन Notification/ Advertisement No. RW/01/2022 05 May, 2022 निरस्त नहीं किया गया है । कार्यवाहक कुलपति स्थाई नियुक्तियॉ नहीं कर सकता है और राजभवन से नियुक्तियों के कोई आदेश नहीं हैं ऐसा राजभवन ने सूचना के अधिकार में बताया है । इस विज्ञापन में रोस्टर का गलत इस्तेमाल कर कार्यवाहक कुलपति ने अपने खास लोगों के near dears को नियुक्त करने के लिए पदों में भारी हेर फेर की थी। यह निरस्त होना चाहिए और साथ में इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए पर हमें जानकारी नहीं है कि ऐसा कब होगा।

विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने में पूरी तरह से असफल है । जिसके लिए सीधे तौर पर मौजूदा वर्तमान विश्वविद्यालय प्रशासन ज़िम्मेदार है । विधि की मुख्य परीक्षाएँ और अन्य मुख्य परीक्षाएँ ओ एम आर शीट पर करवाकर विश्वविध्यालय छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है ।

शिक्षकों से प्रशासनिक कार्य कराये जाते हैं शिक्षण की बजाए । जिसके कारण शिक्षण और शोध दोनों पर बुरा असर पड़ता है। विश्वविद्यालय की तमाम अनियमित्ताओं और प्रशासनिक असफलताओं का मुख्य कारण है ये शिक्षकों द्वारा प्रशासनिक कार्य। परंतु माननिये उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद यह धड़ल्ले से चल रहा है।

कुलाधिपति एक मानद पद है। पर विश्वविद्यालय में कुलाधिपति की दखलंदाज़ी बहुत अधिक है।

विश्वविद्यालय छात्रों के लिए कम और कुलाधिपति के लिए अधिक चल रहा है। बहुत हास्यापद है कि इतनी अनियमित्ताओं और प्रशासनिक असफलताओं के बावाज़ूद माननीय कुलाधिपति तथा कुलपति विश्वविद्यालय को नैक A+ ग्रेडिंग दिलाने पर आमादा हैं और उसे व्यक्तिगत इगो का मामला बना लिया है। यह समझ पाना मुश्किल है कि यह ग्रेडिंग असफलताओं और अनियमितताओं के लिए क्यों आवश्यक है। क्या असफलताओं और अनियमितताओं को वैध सिद्ध किया जाना है?

यदि विश्वविद्यालय के अधिकारी बिना प्रशासनिक और वित्तीय सुधारो के नैक A+ ग्रेडिंग लेते हैं तो विश्वविद्यालय और ग्रेडिंग देने वाली संस्था के विरुद्ध सिविल सोसायटी ऑफ आगरा उचित कानूनी कार्यवाही करेगी ।

हम मांग करते हैं।

1. कुलाधिपति / राज्यपाल जनता को उत्तरदायी नहीं होता है । इसपर नीतिगत निर्णय होना चाहिए कि कुलाधिपति के पद पर मुख्यमंत्री आसीन हों।

2. जी पी एफ की पुस्तिका सभी कर्मचारियों और शिक्षकों को अविलंब सौंपी जाए।

3. जी पी एफ राशि पर 4.4% की दर से ब्याज का भुगतान हुआ है जबकि मिलना चाहिए था 7%से अधिक। कर्मचारियों और शिक्षकों को ब्याज का नुकसान हुआ है ऐसा प्रधान महालेखाकार(लेखा परीक्षा,प्रथम) प्रयागराज ने भी अपनी रिपोर्ट में लिखा है।

4. जो कर्मचारी और शिक्षक सेवा निव्रत हो गए हैं और ज़िंदा हैं उन्हे भी लाभ मिले।

5. जी पी एफ खाते सही बैंक में खोले जाएँ। और दोषी विश्वविद्यालय अधिकारियों और बैंक अधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्यवाही हो।

6. विश्वविद्यालय में आयोजनों और निर्माण के नाम पर जो भी औचित्यहीन और कपटपूर्ण व्यय हुए हैं उनकी जांच हो और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध न्यायोचित कार्यवाही हो।

7. राजा महेन्द्र महेन्द्र प्रताप सिंह, अलीगढ़ को आगरा विश्वविद्यालय द्वारा बिना बजट प्रावधान के और वित्त समिति के विरोध के बावजूद दिये गए 60 करोड़ रुपये वापस हों।

8. मुख्य परीक्षाएँ ओ एम आर शीट पर न हों।

9. शिक्षक प्रशासनिक कार्य करने के बजाए शिक्षण और शोध करें जिसके लिए वो नियुक्त हैं।

10. कार्यवाहक कुलपति डॉ विनय पाठक द्वारा दिया गया असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की नियुक्ति का विज्ञापन Notification/ Advertisement No. RW/01/2022 05 May, 2022 निरस्त हो। नया विज्ञापन निकले सही रोस्टर के साथ। रोस्टर का विश्वविद्यालय अपनी वेबसाइट पर प्रकाशन करे।

11. प्रशासनिक सुधारों के बाद ही नैक ग्रेडिंग हो उसके पहले नहीं।

 प्रेस वार्ता में श्री शिरोमणि सिंह, श्री अनिल शर्मा,श्री राजीव सक्सेना,श्री के एन अग्निहोत्री,ग्रुप कैप्टन जयपाल सिंह चौहान,श्री सुदेश कुमार उपस्थित रहे।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।